लोक प्रशासन - A UGC-CARE Listed Journal

Association with Indian Institute of Public Administration

Current Volume: 16 (2024 )

ISSN: 2249-2577

Periodicity: Quarterly

Month(s) of Publication: मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर

Subject: Social Science

DOI: https://doi.org/10.32381/LP

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राजस्थान में ग्रामीण पर्यटन के माध्यम से समावेशी सामाज का दर्शन

By : शिव कुमार मीणा

Page No: 115-126

Abstract
राजस्थान के ग्रामीण परिवेश में ग्रामीण पर्यटन अपेक्षाकृत एक नया पक्ष है। राजस्थान में ग्रामीण पर्यटन समावेशी समाज का महत्वपूर्ण औजार बना है। ‘‘राज्य में विभिन्न जातीय संघटन व सांस्कृतिक स्वरूपों के समूह है। यहाँ भील, मीणा, डामोर, गरासिया जनजातियाँ विद्यमान है।’’ (भार्गव, 2011, 101) यह जनजातियाँ मुख्य रूप से बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही व बरन जिलों में स्थापित है। इन जनजातियों का विकास करना अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सामाजिक व दैनिक जीवनचर्या से बिल्कुल कटे हुए है। ग्रामीण पर्यटन के माध्यम से इनके सामाजिक व आर्थिक स्तर को उठाया जा सकता है। यह जनजातीय लोग ग्रामीण पर्यटन के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से संपर्क में आएंगे, जिससे उनके सोचने समझने के दायरे में विस्तार होगा। आज विश्व के लोग इन जनजातियों के भोजन, सांस्कृतिक, वेशभूषा, हस्तशिल्प, त्यौहार आदि के प्रति आकर्षित हो रहे है। इससे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण जनजातीय लोगों का विकास होता है। इन जनजातियों के बीच ग्रामीण पर्यटन को लेकर रूचि बढे़ और वह इसमें भाग लें। इसके लिए सरकार व स्वयं सेवी संगठनों को बड़ी भूमिका निभानी चाहिए, ताकि जनजातीय लोगों को अपने जीवन स्तर को ऊपर उठाने में सहायता मिलें। इस शोध में ग्रामीण पर्यटन द्वारा राजस्थान के ग्रामीण समावेश पर चर्चा की गई है। यह अध्ययन पुस्तकों, जर्नल, रिपोर्ट व जनगणना 2011 आदि से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। 

Author:
शिव कुमार मीणा :
पी.एच.डी. शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय। 

DOI: https://doi.org/10.32381/LP.2024.16.01.9

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