लोक प्रशासन - A UGC-CARE Listed Journal

Association with Indian Institute of Public Administration

Current Volume: 16 (2024 )

ISSN: 2249-2577

Periodicity: Quarterly

Month(s) of Publication: मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर

Subject: Social Science

DOI: https://doi.org/10.32381/LP

300

संवैधानिक लोकतंत्र और समकालीन समाज की चुनौतियाँ

By : कन्हैया लाल

Page No: 57-79

Abstract
भारत विश्व का सबसे बड़ा संवैधानिक-लोकतांत्रिक देश है जहाँ विभिन्न जाति, धर्म, और संस्कृति के लोग साथ रहकर अनेकता में एकता का परिचय देते हैं। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मे भारत अमृत महोत्सव मना रहा है जो भारत के संविधान की सफलता, परिपक्वता और भारतीय समाज मंे उभरते नये आयाम को प्रदर्शित करता है जिसमें सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास पर बल दिया जाता है। भारतीय संविधान निर्माताओं ने भारत को एक प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया है जिसमें स्वतंत्रता, समानता, न्याय, बंधुता, लोकप्रभुसत्ता, शांतिपूर्ण संवैधानिक तरीकों व मूल्यों आदि पर विश्वास व्यक्त किया गया है। भारतीय संविधान को अपनाया जाना करोड़ों लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण पल था। के.एम. पानिकर के अनुसार, ‘‘संविधान लोगों को दिया गया दृढ़ वचन है कि कानून समाज को नए सिद्धांतों पर पुर्नस्थापित करेगा व नूतन व्यवस्था में लाएगा।’’ भारत के संवैधानिक लोकतंत्र के अपने कुछ विशिष्ट विशेषताएँ हैं - लोकप्रभुसत्ता, मौलिक अधिकार, स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका, राजनीतिक भागीदारी, वयस्क मताधिकार, धर्मनिरपेक्षता, शक्तियों का विकेन्द्रीकरण, संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन, उत्तरदायी, जवाबदेह और पारदर्शी सरकार आदि। 

भारतीय लोकतंत्र को विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र होने का सम्मान प्राप्त है, लेकिन इसके कुछ चुनौतियाँ भी हैं। वास्तव में भारतीय लोकतन्त्र केवल लोकतन्त्रीय सरकारें संगठित और संचालित करने में ही सफल हुआ है, इसे अपने सामाजिक-आर्थिक पहलूओं में अभी सफलता प्राप्त करनी है। इसमें जो प्रमुख चुनौतियाँ विद्यमान हैं वे हैंः सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ, क्षेत्रवाद, जातिवाद, अलगाववाद और राजनीतिक हिंसा। ग़रीबी और बेकारी की चुनौतियों का सामना करने के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं और लोगों को स्व-रोजगार अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए। आधारभूत ढांचे के विकास के लिए बिजली यातायात और संचार सुविधाओं आदि की व्यवस्था व्यापक और व्यवस्थित रूप में की जानी चाहिए।

Author:
कन्हैया लाल: सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, एस.एस. मेमोरियल महाविद्यालय, राँची,राँची विश्वविद्यालय, राँची (झारखण्ड)।
 

DOI: https://doi.org/10.32381/LP.2023.15.03.4

© All Rights Reserved 2025, Prints Publications Pvt. Ltd.

Powered by : Prints Publications Pvt Ltd