लोक प्रशासन - A UGC-CARE Listed Journal

Association with Indian Institute of Public Administration

Current Volume: 16 (2024 )

ISSN: 2249-2577

Periodicity: Quarterly

Month(s) of Publication: मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर

Subject: Social Science

DOI: https://doi.org/10.32381/LP

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महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना के लिए राज्यों के द्वारा की जाने वाली पहल 

By : बलदेव सिंह नेगी

Page No: 116-131

Abstract
भारत के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एम.पी.आई.) 2021 के अनुसार 25.01 प्रतिशत आबादी बहुआयामी गरीब है। दूसरी ओर भारत दूनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो 2026 तक पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और 2047 तक 40 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रखता है, जब भारत अपनी आजादी के 100 साल पुरे करेगा। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के  आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पी.एल.एफ.एस.) के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर, 2022 में  शहरी बेराजे गारी दर 7.2 प्रतिशत थी, जो ग्रामीण से अधिक है। बेरोजगारी या अल्प-रोजगार, शहरी क्षेत्रों में काम की आकस्मिक और रुक-रुक कर होने वाली  प्रकृति ऋणग्रस्तता का कारण बनती है, जो बदले में गरीबी के संकट को मजबूत करती है। ये संकट काेि वड जैसी राष्ट्रीय आपदा के दौरान अधिक भयानक हो जाते हैं जो शहरी गरीबों और अनौपचारिक क्षेत्रों के श्रमिकों को प्रभावित करता है और कभी-कभी विपरीत प्रवासन का परिणाम होता है। ऐसी स्थिति में राज्य प्रायाेि जत नौकरी की गारंटी ग्रामीण या शहरी किसी भी इलाके के कमजोर श्रमिको के लिए आखिरी उम्मीद बन जाती है। कोविड-19 महामारी केदौरान मजदूरो के सामने रोजी -रोटी की समस्या आई और कुछ राज्यों ने समाधान के तौर पर अर्बन जॉब गारंटी की पहल की थी। वर्त मान शोध पत्र में शहरी गरीबों के लिए शहरी रोजगार  गारंटी योजनाएँ बनाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारो की पहलों का अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। इसके लिए विभिन्न स्तोत्रों की सहारा लिया गया है जिसमें संबंधित राज्य सरकारों की सालाना रिपोर्ट  और ऑनलाइन डेटा, विभिन्न संस्थानों के शोध अध्ययन और समाचार पत्रों की रिपार्टे  शामिल हैं।

Author :
बलदेव सिंह नेगी : परियोजना अधिकारी एवं संकाय सदस्य, ग्रामीण विकास, अंतःविषय अध्ययन विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, समरहिल शिमला-171005.
 

DOI: https://doi.org/10.32381/LP.2023.15.02.8

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